पाबंदी व जांच के नाम पर खानापूर्ति
मोदीनगर। केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड दिल्ली से सम्बद्धता प्रदान किये जाने के लिए पब्लिक स्कूलों के संचालकों को शासन से एक अनापत्ति प्रमाण-पत्र प्राप्त करना होता है। जिसे दर्जनों पब्लिक स्कूल के संचालकों द्वारा प्रापत नही किया गया है।
वरिष्ठ आरटीआई एक्टिविस्ट सुरेश शर्मा ने कहा कि पब्लिक स्कूल संचालक अनापत्ति प्रमाण पत्र का खुला उल्लंघन कर रहे हैं। आरोप है कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों को भी इसकी भनक है, लेकिन कार्रवाही से इंकार कर रहे है। जिसका कम वेतन व भारी फीस का खामियाजा अध्यापकगण व अभिभावकों को उठाना पड़ रहा है। शर्मा ने कहा कि स्कूलों में कम से कम 10 प्रतिशत स्थान मेधावी और पिछड़े एवं निर्बल आय वर्ग के बच्चों के सुरक्षितरहने अनिवार्य है, लेकिन इसका भी पालन नही हो रहा है। बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित विधालयों में विभिन्न कक्षाओं के लिए निर्धारित शुल्क से अधिक शुल्क लिया जा रहा है। दर्जनों पब्लिक स्कूल के संचालक नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए स्कूल में पढ़ रहे बच्चों के अभिभावकों से अवैध रूप से भारी भरकम फीस के वसूल की जा रही है इतना ही नहीं स्कूल के सभी अध्यापक व अध्यापिकाएं प्रशिक्षित हों, इसका भी पालन नही हो रहा है। स्कूल के शिक्षण वा शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को राजकीय सहायता प्राप्त शिक्षण स्कूलों के कर्मचारियों को अनुन्य वेतनमानों व अन्य भत्तों से कम वेतन मान दिये जाने चाहिए जिसका पालन सुनिश्चत नही है। जमकर शोषण किया जा रहा है , क्योंकि उन्हें मानकों के अनुरूप वेतन अन्य सुविधा नहीं दी जा रही हैं। इन स्कूलों में अध्ययन कर रहे बच्चों के लिए सुरक्षा की दृष्टि से अग्नि शमन उपकरण भी आपको पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलेंगे और न ही अग्नि शमन विभाग से जारी अन्तिम अनापत्ति प्रमाण पत्र स्कूलों में सचंालको के पास मिलेगा । सुरेश शर्मा ने कहा कि अधिकांश विधालयों में भवन निर्माण का संबंधित विभाग से मानचित्र स्वीकृत नहीं मिलेगा, यदि मानचित्र मिल भी गया तो विधालय भवन निर्माण मानचित्र के अनुरूप नहीं मिलेगा। यहाँ तक की संबंधित विभाग से विधालय भवन निर्माण का सम्पूर्ण प्रमाण पत्र भी प्राप्त नहीं है। उन्हांने ऐसे पब्लिक स्कूलों की जांच की मांग शासन से की है।
शहरभर में अवैध तरीके से चल रहे पब्लिक स्कूल