अरूण वर्मा
मोदीनगर। सात वर्ष पहले देश को दहला देने वाले निर्भया सामूहिक दुष्कर्म मामले में दरिंदों को फांसी पर लटकाने का दिन न्यायालय द्वारा मुकर्रर होने से महिलाओं व लोगों में जहां खुशी की लहर है, वहीं फैसला विलंब से आने पर अफसोस भी है। इस संबन्ध में अपनी अलग अलग महिलाओं व लोगों से प्रतिक्रिया ली ओर जाना की दरिंदों को फांसी की सजा मुकर्रर होने के बाद महिलाओं की अब क्या राय है। पेश है महिलाओं से हुई बातचीत के अंशः-
कोर्ट के ऐसे फैसलों से अपराधों में जरूर कमी आयेंगी-- डाॅ. मंजू शिवाच
भाजपा विधायक डाॅ. मंजू शिवाच का कहना है कि कोर्ट के फैसला भले की देरी से आया, लेकिन महिलाओं के लिये यह राहत भरा है, ओर इस फैसले से इस तरह की प्रवृत्ति वाले लोगों में भय कायम होगा। कोर्ट के ऐसे फैसलों से बढ़ते इस श्रेणी के अपराधों में जरूर कमी आयेंगी। उन्होंने इस फैसले का स्वागत किया ओर कोर्ट के निर्णय पर अपनी सहमति व्यक्त की है।
फैसला दरिंदों जैसी मानसिकता रखने वाले लोगों के लिये एक सबक है-- कुसुम सोनी
रानी लक्ष्मीबाई महिला फाउंडेशन की राष्ट्रीय अध्यक्ष कुसुम सोनी ने कहा कि 7 वर्ष 22 दिन बाद आए कोर्ट के फैसले से महिलाएं ज्यादा खुश हैं। सोनी ने कहा कि विलंब से ही सही, लेकिन यह फैसला दरिंदों जैसी मानसिकता रखने वाले लोगों के लिये एक सबक है ओर ऐसे लोगों में भय का वातावरण पैदा करने का काम करेंगा। कोई भी दरिंदा इस तरह की वारदात करने से पहले कई बार सोचेंगे। कोर्ट के इस तरह के फैसलों से अपराधों मेंकमी आयेंगी ओर महिलाओं को स्वतंत्रता मिलेंगी। देरी से ही सही, लेकिन निर्भया को इंसाफ मिला है। सोनी ने फैसले का पुरजोर स्वागत किया।
ऐसे दरिंदों को जीने का कोई अधिकार नहीं-- श्रीमति सुचेता सिंह
ग्राम तिबड़ा से प्रधान श्रीमती सुचेता सिंह का कहना है कि निर्भया के दरिंदों को तो पहले ही फांसी पर लटका देना चाहिए था। ऐसे दरिंदों को कही भी जीने का कोई अधिकार नहीं है। कोर्ट के इस फैसले से जंहा निर्भया को न्याय मिला है, वहीं लोगों में एक बार फिर कानून के प्रति आस्था जगी है। सुचेता सिंह ने न्याय मिलने में देरी पर गहरी नाराजगी जाहिर की है।
कोर्ट का यह फैसला एक नजीर बन गया है-- दीपा भंडारी
समाज सेविका दीपा भंड़ारी कोर्ट के फैसले से प्रसन्न है, ओर वह इसका स्वागत भी करती है। श्रीमती भंडारी का कहना है कि निर्भया को भले देरी से ही सही, लेकिन न्याय तो मिला। दरिंदों को तो इससे पहले ही फांसी पर लटका देना चाहिए था। कोर्ट के फैसले पर पूरी दुनिया की निगाहे लगी थी। फैसले से सभी महिलाऐं ही नही अपितु पुरूष भी संतुष्ट है। कोर्ट का यह फैसला एक नजीर बन गया है। सभी को इसका स्वागत करना चाहिऐं।
फैसला ऐतिहासिक है-- वंदना गर्ग
समाजसेविका वंदना गर्ग ने कहा कि फैसला भले ही देरी से आया हो, लेकिन फैसला ऐतिहासिक है और वह फैसले का स्वागत करती हैं। कानूनी प्रक्रिया लंबी चली, लेकिन मुकम्मल हुई। फैसले से इस तरह की दरिंदगी करने वालों में डर का माहौल पैदा होगा, साथ ही इस तरह के अपराधों पर अंकुश लगेंगा। महिलाओं में इस फैसले के बाद खुशी की लहर है। वंदना ने कोर्ट की सराहना की ओर कहा कि हमें कानून में विश्वास रखना चाहिए।
22 जनवरी को मनेंगा जश्न-- श्रीमति पुष्पा रानी
भारत विकास परिषद् की पूर्व संयोजिका श्रीमती पुष्पा रानी का कहना है कि दरिंदों को जिस दिन 22 जनवरी को फांसी पर लटकाया जाएगा, उस दिन वह मिठाई बांटकर प्रसन्नता जाहिर करेंगी। निर्भया पूरे देश की बेटी थी। दरिंदों को फांसी तो मिलनी ही चाहिए थी। महिलाओं के लिये 22 जनवरी याद रखने का दिन है। इस दिन जश्न मनाया जायेंगा, कानून में सबसे बड़ी ताकत है।
दरिंदों को फांसी पर लटकाने का दिन और वक्त मुकर्रर होने से 7 जनवरी नजीर बन गई है -- रिंकू तोमर
गाइड डीओसी रिंकू तोमर का कहना है कि निर्भया सामूहिक दुष्कर्म कांड को लेकर पूरे देश में कई आंदोलन हुए, ओर लाखों लोगों का गुस्सा सड़कों पर देखा गया। यह एक ऐसी घटना थी, जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था।
दरिंदों को फांसी पर लटकाने का दिन और वक्त मुकर्रर होने से मंगलवार का दिन नजीर बन गया है। निर्भया के परिजनों को दिल से साधुवाद देती हूं। जिन्होंने इस लड़ाई को अंतिम पड़ाव तक पहुंचाया और हार नहीं मानी।